नोटबंदी : कुछ दोहे
नेता, अफसर, वणिक ने, पैसा दिया खपाय।
आम आदमी भीड़ में, देखो धक्का खाय।।
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लौटे खाली बैंक से, कृषक न पाए सोय।
खाद-बीज कैसे मिले, कैसे खेती होय।।
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बेटी की शादी करे, कैसे बेबस बाप।
निर्दोषों को लग गया, कालेधन का पाप।।
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कैसे घर सबका चले, कैसे पाएं मुक्ति।
आफत ऐसी आ गई, सूझे एक न युक्ति।।
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इंतजाम करके भला, करते वज्र प्रहार।
तब मोदी की देश में, होती जय-जयकार।।
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फिर भी जनता साथ है, सह कर सारे कष्ट।
कुछ नेता भड़का रहे, जो सचमुच हैं भ्रष्ट।।
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मोदी जी छलना नहीं, खत्म न हो विश्वास।
भोले-भालों को लगी, रामराज्य की आस।।
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जो नोटों पर सो रहे, करके भ्रष्टाचार।
उनसे करना तुम नहीं, मोदी शिष्टाचार।।
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जिसके कारण पिस गए, दीन, दुखी, लाचार।
उस हर दौलतमंद को, डालो कारागार।।
-राजकुमार धर द्विवेदी