मुक्तक/दोहा दोहा *महातम मिश्र 28/11/2016 मन में ऐसी लालसा, मिलना हो हर रोज समय नहीं मिलता सखे, ए टी एम की खोज।। होने देती है नहीं, पहर हमारी भेंट कभी खड़े है लाइना, कभी पछाड़े नेट।। महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी