राजनीति

नोटबंदी पर सरकार और विपक्ष के बीच खिंच गयी तलवारें

नोटबंदी पर अब सरकार ओैर विपक्ष के बीच तलवारें खिच गयी हैं। नोटबंदी पर अब न तो सरकार अपने कदम वापस लेने वाली है और न ही विपक्ष सरकार का सहयोग करने को तैयार है। विपक्ष जिस प्रकार से पीएम मोदी की सरकार का तीखा विरोध कर रहा है उससे साफ पता चल गया है कि ये सभी दल व नेता कालेधन व भ्रष्टाचार के खुले समर्थक हैं। नोटबंदी का विरोध कर रहे दल येन केन प्रकारेण सीमा पार के आतंकवाद व पाकिस्तान की वर्तमान नीति के साथ भी खड़े दिखायी पड़ रहे हैं। सीमा पर शहीद हो रहे जवानों को सलाम करने के लिए इन दलोें व नेताओं के पास समय नहीं रह गया है तथा सभी दल केवल अपना कालाधन बचाने के लिए लोकतंत्र की सारी मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए संसद से सड़क तक देश में अराजकता का वातावरण पैदा करके पीएम मोदी व सरकार पर दबाव बनाकर अपना फैसला करवाना चाहते हैं।
बसपा नेत्री मायावती ने जिस प्रकार से पीएम मोदी की ओर से किये गये सर्वे को फर्जी करार देते हुए लोकसभा भंगकर नये चुनाव कराने की मांग की है उससे साफ पता चल रहा है कि उनका सारा का सारा कालाधन समाप्त हो चुका है। मायावती के पास नकदी की भारी कमी हो गयी है। नकदी के कमी के चलते उनकी सारी की सारी चुनावी तैयारियां ध्वस्त हो चुकी हैं। वह पूरी तरह से बौखला गयी हैं तथा बहुमत की मजबूत सरकार व देश के विकास को डिरेल करना चाह रही है। मायावती को पता चल गया है कि अब उनका राजनैतिक कैरियर पूरी तरह से बर्बाद होने जा रहा है। मायावती को चुनावी जनसभाओं के लिए पैसा नहीं मिल पा रहा है। उनके चेहरे पर दबाव को देखा जा सकता है। यही हाल सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव व उनके पूरे कुनबे का भी हो गया है। जातिवाद, वंशवाद और अल्पंसख्यकवाद की राजनीति करने वाले लोग अब केवल अपने काले नोट व दो नंबर की कमाई को बचाने में लग गये हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल को भूलकर दिल्ली में धरना-प्रदर्शन करने में लग गयी हैं।

नोटबंदी के बाद सबसे आश्चर्यजनक आंकड़े ममता बनर्जी के राज्य बंगाल से ही आ रहे हैं। पता चला है कि जन-धन खातों में जो 64 हजार करोड़ रूपये से भी अधिक जमा हुआ है उसमें सबसे अधिक बंगाल व कर्नाटक के खातों में कालाधन खपाया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि यह सारा पैसा बांग्लादेशी घुसपैठियों तथा तस्करी व गोरखधंधे करने वाले गिरोहों का हो। इन सभी अराजकतावादी तत्वों को तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी का पूरा सहयोग व समर्थन हासिल है। एक प्रकार से बंगाल के विधानसभा चुनाव उन्होंने इन्हीं लोगों के दम पर जीता है। अतः वह तो कालेधन का सहयोग, संरक्षण व समर्थन करेंगी ही। देश के लगभग सभी क्षेत्रीय व छोटे दलों का अस्तित्व कालेधन व नंबर दो की कमाई पर ही टिका हुआ है। आज कांग्रेस के नेतृत्व में ये ही दल अराजकता का वातावरण पैदा करके जनमानस व सरकार को गुमराह करके अपना निर्णय लागू करवाना चाहते हैं।

नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ देश के 13 विरोधी दलों ने अपना मोर्चा बना लिया हैं। वहीं दूसरी ओर नोटबंदी के फैसले पर पीएम मोदी के धुर विरोधी बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार व समाजसेवी अन्ना हजारे उनके समर्थन में खुलकर खड़े हो गये हैं। बिहार में तो नीतिश कुमार के समर्थन करने के बाद वहां पर महागठबंधन भी संकट में दिखलायी पड़ने लग गया है। विपक्ष अब सरकार के साथ किसी भी प्रकार की बात करने के मूड में नहीं दिखायी पड़ रहा है। विपक्ष ने सरकार की ओर से बुलायी गयी सर्वदलीय बैठकों का भी बहिष्कार कर दिया है। एक ओर जहां देश की जनता शांत भाव से पंक्तिबद्ध होकर सरकार का सहयोग कर रही हैं वहीं कालाधन रखने वालों के दिमाग में कृत्रिम अराजकता पैदा हो गयी है।

अभी हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में भाजपा को मिली जीत के बाद व पीएम मोदी के सर्वे के नतीजों के कारण इन दलों के नेताओं के माथे पर बल पड़ गये हैं। विगत दिनों हंगामे के बीच पीएम मोदी ने नरेंद्र मोदी ऐप पर अपने फैसले पर सर्वे करवाया था जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक जनता पीएम मोदी के साथ खड़ी दिखायी पड़ रही है। अधिकतर लोगों ने नोटबंदी का समर्थन किया है। अभी तक 98 प्रतिशत लांगों ने माना है कि कालाधन देश में ही मौजूद है। जबकि 99 प्रतिशत लोग मानते हैं कि भ्रष्टाचार और कालाधन समाप्त करना जरूरी है। 90 प्रतिशत लोगों ने सरकार के कदम को शानदार बताया है। जबकि 92 प्रतिशत लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने का यह कदम पसंद आया है। 92 प्रतिशत लोंगों का मानना है कि इस कदम से भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ लगाम लगेगी। 90 प्रतिशत लोगों ने सरकार के कदम को चार स्टार दिये हैं। 86 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का आगाज हो गया है। 66 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इस कदम से रियल स्टेट, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी। इस निर्णय के बाद 43 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कोई असुविधा नहीं हुयी जबकि 48 प्रतिशत का मानना है कि कुछ असुविधा तो हुई लेकिन सह लेंगे। सर्वे में अब तक पांच लाख लोगों ने हिस्सा ले लिया है। यही कारण है कि आज पूरा विपक्ष बौखला गया है तथा उसने एकजुट होकर एक ऐतिहासिक व देशहित के सबसे बड़े निर्णय को पलटने के लिए पूरा दबाव बनाने का एक प्रयास किया है। यह सभी दल वास्तव में इस बात से सबसे अधिक आश्चर्यचकित हो रहे हैं कि लाख भड़काने के बाव भी देश की जनता अराजक नहीं हो रही है। यह देश में सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।

सरकार के इस फैसले का दूरगामी असर दिखायी पड़ रहा है तथा आगे आने वाले दिनों में भी दिखायी पड़ेगा। जब पूरे देश का सिस्टम कैशलेस हो जायेगा तब देश की जनता को इस निर्णय की अच्छाई पता चलेगी। इस निर्णय के बाद बड़ी बात यह सामने आ रही है कि देश के अंदर जो जरायम व छोटे अपराध होते थे उनमें एकाएक कमी आ गयी है। यह बात कई राज्यों के गृह मंत्रालयों की खुफिया रिपोर्टोंं से पता चली है। जब पूरा देश कैशलेस हो जायेगा तब बार बार बैंक जाने व लाइन में लगने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। कैशलेस सिस्टम के बाद चोरी, लूट व डकैती व पर्स आदि छीनने की घटनाओें में भी भारी कमी अवश्य आयेगी। तब बैंकों में छोटे कामों के लिए लम्बी लाइन स्वतः समाप्त हो जायेगी। बड़े नोटों का प्रचलन समाप्त होने के बाद सामाजिक सुधार भी संभव हो जायेगा। शादी विवाह के दौरान जिस प्रकार से धन की बर्बादी होती थी उस पर लगाम लगेगी तथा वह सरकार की नजरों में आ जायेगी।

सबसे बड़ी बात यह हुयी है कि नोटबंदी के बाद जो दल दूर दराज के गांवों में जनमानस को प्रभावित करने का प्रयास करते थे उस पर भी लगाम लगेगी। सरकार ने यह फैसला एक प्रकार से राजनैतिक सुधार करने के लिए भी किया है। यह विपक्ष सरकार के फैसले का विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि वह इन नोटों के बल पर पूरे चुनावी तंत्र को खरीद लेता था। गांवों में खुलेआम शराब बांटी जाती थी तथा उपहार दिये जाते थे। विगत लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के सांसद गोविंदा मुंबई में अपने समर्थकों को पांच सौ का नोट बांट रहे थे उनका वीडियो वायरल होने के बाद ही कांग्रेस ने उनका टिकट काटा था।

अभी यही दल आरोप लगा रहे थे कि पीएम मोदी भ्रष्टाचार व कालेधन को समाप्त करने के लिए कुछ नहीं कर रहे। अब यही दल कालेधन व भ्रष्टाचार के समर्थन में खुलकर खड़े हो गये हैं। कांग्रेस व उसके गर्भ से पैदा हुये दलों ने देश को 70 साल में पूरी तरह से लूट लिया है। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान नारा दिया था कि ‘मैं न खाऊंगा और नहीं खाने दूंगा’ पर वास्तविक अमल शुरू कर दिया है। कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी ने जो जंग शुरू की है उसे हर कोई किसी न किसी स्तर पर सराह रहा है। बस कालाधन जमा करने वालों के पेट में ही दर्द पैदा हो गया है। अगर पीएम मोदी अपने इस अभियान में सफल हो गये तब इन दलों का अस्तित्व तो समाप्त ही हो जायेगा। यही भय इन दलों व उनके नेताओं को सता रहा है।

मृत्युंजय दीक्षित