कविता
धरती अपनी
धूरी पर
चक्कर लगाती है
किसी को कोई
एतराज नही
होता
धरती सूरज के
इर्द गिर्द
चक्कर लगाती है
किसी को
खबर तक नही होती
परन्तु….
जब मेरे
पेट की भूख
नाभी की
परिक्रमा
पूरी करने के लिए
करती है
कोई न कोई
हीला वसीला तो
लोगों मे
हाहाकार
क्यो मच जाती है…!!
— रितु शर्मा