क्षणिका

क्षणिका

साँपों की कूँज में
आँखो की मूँद में
पत्तों मे से गुजरती
हूँ बनकर हवा
खिड़की तो खोलो
मेरा नाम तो बोलो
छुपी नही कही
मै वहॉ भी हूँ..!!

— रितु शर्मा

रितु शर्मा

नाम _रितु शर्मा सम्प्रति _शिक्षिका पता _हरिद्वार मन के भावो को उकेरना अच्छा लगता हैं