किस्मत
तुम तो बेवफ़ा न थीं
पर शायद किस्मत ही
कुछ नाराज़ थी
तुम्हारी हर बात बांसुरी
हर शब्द एक साज़ थी
तुम्हे लगता होगा
मैं भूल गया तुम्हे
तुम क्या जानो
तुम्हारी हर इक बात
मुझे अभी तक याद थी
मेरे कपड़ों पर जो सिलवटें
आती थीं
तुम्हारे आगोश में आने से
उनकी महक तो
मेरी नसों में
अभी तक विद्यमान थी
फिर कहता हूँ आ जाओ
मत जाओ दूर मुझसे
शायद लोट आए वो मदहोशी फिर से
जो खो गयी है तुम्हारे जाने से
कभी महसूस न हुई होगी
गर हुई
तो सिर्फ तुम्हारे ही आने के बाद थी
तुम तो बेवफ़ा न थीं
पर शायद किस्मत ही
कुछ नाराज़ थी
#महेश