“कुंडलिया”
जीवन जीते हैं सभी, कुछ होते अनमोल
वही तराना लय वही, रख देते दिल खोल
रख देते दिल खोल, झूम उठती है दुनिया
आज रुवासी बोल, सुनाये बज हरमुनिया
कह गौतम कविराय, अश्रु बहि जाय अनीवन
अम्मा कस विसराय, धन्य जयललिता जीवन॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी