मुक्तक/दोहा “मुक्तक” *महातम मिश्र 06/12/2016 ढ़ाई आखर प्रेम है, नारायण का धाम कारीगरी कुशल लिए, मंदिर मन घनश्याम स्वामीनारायण प्रभों, महिमा अधिक विशाल जयकारा लगता रहे, बापा स्वामी नाम॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी