मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

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ढ़ाई आखर प्रेम है, नारायण का धाम

कारीगरी कुशल लिए, मंदिर मन घनश्याम

स्वामीनारायण प्रभों, महिमा अधिक विशाल

जयकारा लगता रहे, बापा स्वामी नाम॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ