मांसाहार से नाना दुखों, रोग व अल्पायु की प्राप्ती तथा शाकाहार से सुख, आयु, बल व बुद्धि की वृद्धि सहित परजन्म में उन्नति
ओ३म्
मांसाहार से कुछ निश्चित हानियां होती हैं। कृपया निम्न हानियों पर दृष्टि डालने का कष्ट करें:
1- मांसाहार से अनेकानेक साध्य व असाध्य रोग होते हैं।
2- मांसाहार से आयु घटती है।
3- मांसाहार से मनुष्य के स्वभाव में हिंसा व क्रोध उत्पन्न होता है।
4- मांसाहार करने वाले को योग सिद्ध नहीं हो सकता।
5- मांसाहारी ईश्वर का भक्त व उपासक न होकर ईश्वर का अपराधी होता है।
6- मांसाहारी की बुद्धि वृद्धि के स्थान पर क्षीणता को प्राप्त होती है।
7- भगवान राम व भगवान कृष्ण सहित आचार्य चाणक्य और हमारे सभी ऋषि-मुनियों सहित महाभारतकालीन सभी राजा एव विख्यात योद्धा शाकाहारी थे।
8- 180 वर्षीय भीष्म, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, धृतराष्ट, विदुर व दुर्योधन आदि भी शाकाहारी थे।
9- रामायणकालीन महाबलवान् बाली, सुग्रीव, हनुमान, अंगद और यहां तक की रावण, विभीषण आदि भी शाकाहारी थे।
10- मांसाहारियों में शाकाहारियों से कम बल होता है। इतिहास में हनुमान, भीम की तुलना में वीर व बलवान या तो हुए ही नहीं या बहुत कम हुए होंगे। आज तो उनके समान बलवान व पराक्रमी कहीं नहीं दीखता।
11- मांसाहार पाप है, अतः इसका परिणाम जन्म-जन्मान्तर में दुःख व महादुःख है।
12- मांसाहारी का पुनर्जन्म मनुष्य रूप में होना सम्भव नहीं है।
13- मांसाहारी को उन पशु योनियों में ही जन्म लेना होगा जिन पशुओं का उसने मांस खाया था। ईश्वर ब्याज व सूद सहित उसे उसके मिथ्याचार का दण्ड देगा।
14- मांसाहारी प्रायः डरपोक होते हैं। शेर हाथी पर सामने से वार नहीं करता। हाथी शाकाहारी है जो एक वृक्ष तक को समूल उखाड़ देता है। शेर को भी मार सकता है।
15- शाकाहारी पशुओं को यदि मांस परोसा जाये तो वह कभी नहीं खायेंगे। मनुष्य पशुओं से भी अधिक नासमझ है।
16- मनुष्य के दांत व आंतों की बनावट शाकाहारी पशुओं के सामन हैं, इससे मनुष्य शाकाहारी सिद्ध है।
17- सभी मांसाहारी पशु अपने पैरों व दांतों से ही दूसरों पर प्रहार करते हैं और कच्चा मांस खाते हैं। कभी कोई मनुष्य पशुओं के समान मांस प्राप्त नहीं करता और न ही उनके समान केवल मांस ही खाता है। जब तक उसे स्वादिष्ट मसालों सहित पकाया न जाये, वह (कच्चा) मांस नहीं खा सकता।
18- मनुष्य को जब रक्तचाप, हुदय आदि अनेक रोग होते हैं तो आधुनिक डाक्टर भी उन्हें मांसाहार करने से रोकते हैं अन्यथा रोग पर नियन्त्रण नहीं किया जा सकता। अतः मांसाहार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है।
19- मांसाहारी हमेशा याद रखे ‘अवश्यमेव हि भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्’ अर्थात् मनुष्य को अपने शुभ व अशुभ कर्मों के फल अवश्य ही भोगने पड़ंेगे। शास्त्र में एक स्थान पर यह भी आता है कि जिस प्रकार नया जन्मा हुआ गाय का बच्चा हजारों गावों में अपनी मां को ढूंढ लेता है, उसी प्रकार किया हुआ कर्म उसके कर्ता को जन्मजन्मान्तर में कर्मानुसार भोग कराकर ही समाप्त होता है।
20- शास्त्र में एक स्थान पर यह भी कहा गया है कि जितने रोगी, अपंग, असहाय व दुःखी लोग हमारे सामने आते हैं, वह हमें यह शिक्षा देते हैं कि ‘तुम अच्छे कार्य करो नहीं तो तुम्हारी दशा भी हमारे समान होगी।‘ इन शब्दों में गहन ज्ञान समाहित है ऐसा हमे लगता है।
21- हमने स्कूल में एक कहानी पढ़ी थी। एक बार जंगल में एक शेर को कांटा चुभा। वह ढूंढता हुआ जंगल में निकट के एक मनुष्य के पास गया। मनुष्य शेर को देख कर घबरा गया। उसने देखा कि शेर बार बार अपने पंजे को उठा रहा है। उसकी नजर उसके पैर पर गई तो देखा कि उसे कांटा चुभा है। उस मनुष्य ने डरते डरते उसका कांटा निकाल दिया। इसके बाद शेर वहां से चला गया। बाद में वह मनुष्य किसी चोरी के अपराध में पकड़ गया। न्याय रूप में उसे एक भूखे शेर के पिंजरे में छोड़ा गया। वह व्यक्ति डरा सहमा था कि शेर उसे खा जायेगा। बहुत देर बाद उसने आंखे खोली तो देखा कि शेर उसके पैर चाट रहा है। उस व्यक्ति ने देखा कि यह वही शेर था जिसके पैर का उसने कांटा निकाला था। पशुओं की कृतज्ञता की यह कथा है। इससे यदि शिक्षा नहीं लेंगे तो अनुमान भी नहीं लगा सकते कि हमें कितने दुःख भोगने होंगे।
इस विषय में और भी बहुत कुछ कहा जा सकता है। मांसाहार छोड़िये और शाकाहार अपनाईये क्योंकि शाकाहारी भोजन ही सर्वोत्कृष्ट भोजन है। यह बल, आयु और सुखों का वर्धक है। इससे परजन्म में उन्नति होने से इस जन्म से भी अच्छा मनुष्य जीवन मिलने की सम्भावना है। मनुष्य शाकाहारी प्राणी है, इसका एक प्राण भी दे देते हैं। सभी शाकाहारी पशु मांसाहारियों पशुओं की गन्ध व आहट से ही दूर भाग जाते हैं परन्तु वही पशु मनुष्य को देखकर उसके पास आते हैं। ईश्वर ने पशुओं को यह ज्ञान दिया हुआ है कि कौन मांसाहारी है और कौन शाकाहारी है। इसे पशु जानते व समझते हैं। पशुओं को इस ईश्वर प्रदत्त ज्ञान के अनुसार पशु मनुष्य को शाकाहारी वा अपना रक्षक जानकर उसके पास आते हैं। वह जानते व समझते हैं कि मनुष्य उनकी रक्षा करेंगे। इसके बाद भी यदि मनुष्य मांसाहार करता है तो वह विश्वासघाती सिद्ध होता है। इस पाप से सभी को बचना चाहिये। सत्यार्थप्रकाश और आर्यसमाज को अपनाइये। सत्यार्थप्रकाश को पढ़कर आप अपने सभी कर्तव्यों का सत्य ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इसी के साथ इस विषय को विराम देते हैं। ओ३म् शम्।
–मनमोहन कुमार आर्य