कविता
चाँद से भी खूबसूरत, मुखड़ा तुम्हारा हमें लागें
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आँखें
देखकर कुछ तुमको, हर कोई होता यहाँ हैरान
तराश रब इसक़दर की, होता हर एक परेशान
बहुत कुछ है अनकहा, है बहुत कुछ अनसुना
याद रहे ज़रूरी नही, होता है सब कुछ सुनाना
महेफ़ील में सब के, सामने मुस्कुराते हम रहेंगे
दर्द दिल में भरकर , प्यार तुम्हींसे ही हम करेंगे
अब नही कुछ कहना , और नही कुछ सुनाना
बिना कहे अब समजेंगे , तुम्हें नही कुछ कहना
अब किसी को देखने , की आस नही होती “राज”
यहाँ के हर चेहरे पर, एक कविता लिखी है आज
___________________
✍?️..राज मालपाणी
शोरापुर – कर्नाटक