गीत : गजब किए सरकार
आपने बंद कर दिए नोट,
कहे, है काला धन पर चोट,
अचानक परमाणु विस्फोट,
भले ना हो मन में कोई खोट,
मगर मंद मंगरू का कारोबार।
आप तो गजब किए सरकार।।
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सबने मानी आपकी बात,
लगे है लाइन में सब साथ,
अब तो बिगड़ रहे हालात,
कैश ले गए वो लगा के घात,
करो कुछ उनका भी उपचार।
आप तो गजब किए सरकार।।
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नेता-मंत्री लगे प्रचार में,
अंबानी-अडानी व्यापार में,
काम छोड हम लगे कतार में,
कब तक काम चले उधार में,
कुछ जनता का भी करो विचार।
आप तो गजब किए सरकार।।
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जैसे-तैसे कर दो हजार आया,
मंगरू तो फिर फूले नही समाया,
जब सब्जी खातिर छुट्टे ना पाया,
तब उसका सिर चक्कर खाया,
तो बोलो अब कैसे करे बाजार।
आप तो गजब किए सरकार।।
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सत्तर फिसदी साक्षर देश में,
आपको क्या लगता आदेश में,
आप लगे हुए हो कैशलेस में,
सब कालाधन है पड़ा विदेश में,
अब होगी डकैती बिना हथियार।
आप तो गजब किए सरकार।।
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मजदूरी में चेक न लगता,
महंगाई पर ब्रेक न लगता,
लेन-देन पर टेक न लगता,
मंसूबा कुछ नेक न लगता,
खटमल खातिर खाट जलाया यार,
आप तो गजब किए सरकार।।
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©सौरभ सतर्ष
इलाहाबाद