गीत : ओ सेक्युलर
ओ सेक्युलर, भारत की तुम ऐसी कुछ तस्वीर बना दो।
पूरा देश एक रंग कर दो, केरल को कश्मीर बना दो।
याद नहीं तुमको जब ईमांवाल जी दिल्ली पाये थे?
भगवा दिया निकाल गुब्बारे हरे व श्वेत लगाये थे?
राष्ट्रीय ध्वज को भी तुम इन रंगों की तामीर बना दो।
पूरा देश एक रंग कर दो, केरल को कश्मीर बना दो।
आज मालदा जलता है और लुटता जब बंगाल है।
कोई सहिष्णु कुछ न बोले गैंडे जैसी खाल है।
हर बेटी को दुःशासन का हरने वाला चीर बना दो।
पूरा देश एक रंग कर दो, केरल को कश्मीर बना दो।
नेता, अभिनेता, लेखक सब मुंह घुमा कर बैठे हैं।
सुर्ख लालिये चैनल मुंह में दही जमा कर बैठे हैं?
कलम को अपनी हमें काटने वाली ही शमशीर बना दो।
पूरा देश एक रंग कर दो, केरल को कश्मीर बना दो।
पता नहीं ये बैठे हैं किन गुमताड़ों के गुमान में।
ख़तम हो गया बांग्लादेश में हिन्दू पाकिस्तान में।
हिंदुस्तान में ही हिन्दू को सदा के लिए तुम दफना दो।
पूरा देश एक रंग कर दो, केरल को कश्मीर बना दो।
ओ सेक्युलर, भारत की तुम ऐसी कुछ तस्वीर बना दो।
पूरा देश एक रंग कर दो, केरल को कश्मीर बना दो।
— पुनीत गुप्ता