मेरी बेटी
कभी नटखट बन जाती है
कभी चँचल बन जाती है
मेरी बेटी सबसे निराली है
कभी खामोश तो कभी
पानी की कलकल बन जाती है
गयी है शायद बाप के ऊपर
तभी दिल से नरम
पर दिखावे की पथ्थर बन जाती है
पर जब न रह पाए
अपने आप में
तो कहते हैं माँ पे चली गयी
क्योंकि
अक्सर वो चाहकर भी
रोक नही पाती आंसुओं को
पल में पथ्थर से मोम बन जाती है
मेरी बेटी सच में निराली है
कभी शांत सरोवर
तो कभी हलचल बन जाती है
कभी खामोश तो कभी
पानी की कलकल बन जाती है
#महेश