लघुकथा

मैं की ट्रॉफी

मुन्ना स्कूल से अपने दोस्तों को घर ले गया । दरअसल वो अपने दोस्तों को कुछ दिखाना चाह रहा था । मुन्ना को विविध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का बहुत शौख था । जहाँ में प्रतियोगिता होती झट से उसमें अपना नाम दर्ज करवा लेता ।
और स्कूल में अपने गुण गान करता ।
आज उसका मन था कि वह अपने दोस्तों को उसके जीते हुए अवार्ड्स दिखाये । एक शोकेस में उसने अपने सारे एवार्ड्स सजा कर रखे थे । सभी दोस्त उसकी वाह वाही कर रहे थे । एक दोस्त चुप चाप खड़े देख रहा था । उसे देख मुन्ना ने पूछा , “क्या हुआ ? ऐसे चुपचाप क्यों हो ? क्या तुम्हें तुम्हारे दोस्त पर गर्व नहीं ! ”
“ना , ना ऐसी कोई बात नहीं मुन्ना मैं बहुत खुश हूँ । इतने सारे एवार्ड्स तुमको मिले है । पर मुझे लग रहा है एक एवार्ड कहीं कम तो नहीं ! कहीं और भी रखे हैं क्या तुमने ? ” दोस्त ने पूछा ।
” नहीं , सब यहीं हैं । ”
” पर इसमें तुम्हारी एक ट्राफी कम है ‘मैं की ट्रॉफी ‘ ।

कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट श्री द्वारकाधीश मन्दिर चौक बाज़ार भोपाल 462001 मो न. 9424473377