गीत : तुझे खोजूं कहां ओ मेरी मातरम
तुझे खोजूं कहां ओ मेरी मातरम
भूल सकती न मैं, तुझको सौ-सौ जनम
मेरा जीवन है सूना तुम्हारे बिना
दुख है दूना से दूना तुम्हारे बिना
तेरे दर्शन को रोते है मेरे नयन
तेरी बोली मधुर को तरसते बयन
मेरी पूजा -पूजापा की दात्री है तू
अपनी पुत्री की पावनीय पात्री है तू
तू सरस साधना की सुघर स्वामिनी
मेरी पूनम की तू चन्द्रिका चॉदनी
ज्योति तेरी से जीता न हारा है तम
तुझे खोजूं कहां ओ मेरी मातरम
और कोई न मेरा तुम्ही एक हो
मेरे जीवन जगत की तो अभिषेक हो
जन्मदात्री तुरत दर्श दो हर्ष दो
अपना दैवीय आदर्श स्पर्श दो
तू है पूर्वा -अपूर्वा अनूठी है मां
बात झूठी है मुझसे तू रुठी है मां
तू तो मेरे लिये अंब अमरावती
तू ही सीता सावित्री परम पार्वती
तू प्रणम्या परम,धैर्य धारण धरम
तुझे खोजूं कहां ओ मेरी मातरम
— सफलता सरोज