गज़ल (बेख़बर देहलवी)
सोचता हूँ आपके नाम पर प्यार लिख दूँ ?
दिल के कोरे काग़ज पर इजहार लिख दूँ ?
हर पल आपके दीदार को तरसते ये नैना
बताओ मेरे इन नैनो में इंतज़ार लिख दूँ ?
धड़कनों में धड़कता है आप ही का नाम
आपकी चाह में अपने को बेक़रार लिख दूँ ?
मेरी ख्वाइशें गर कबूल हो जाये आपको
हथेली पर आपके प्यारा आभार लिख दूँ ?
रूह को नहीं तन को चाहने लगे है लोग
ऐसी चाहत को मैं काला बाज़ार लिख दूँ ?
— बेख़बर देहलवी