गजल (शीर्षक :अम्मा)
नित नित कष्ट उठाती अम्मा।
कभी नही उकताती अम्मा ।
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सूखे मेँ थी मुझे सुलाती ,
गीले मे सो जाती अम्मा।
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अपने लाल के कुशलछेम को
देवी,दैव मनाती अम्मा ।
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सफल देख अपने बच्चे को
फूले नही समाती अम्मा।
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जब जब मुझे कष्ट होता है,
याद बहुत तू आती अम्मा।
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ईश्वर नहीं सभी को मिलता,
ईश्वर बनकर आती अम्मा।
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— दिवाकर दत्त त्रिपाठी