गीतिका/ग़ज़ल

नहीं मिलता

हमको अपना पता नही मिलता,
कोई घर भी खुला नही मिलता।

सिर्फ सरगोशियाँ सी सुनती हूँ,
मुझमें आया गया नही मिलता।

यां तो दिल ही जलता रहता है,
तम को जलता दिया नही मिलता।

मिलके उससे उसी में खो जाऊँ,
पर वो मुझसे जुदा नही मिलता।

हाल अपना किसे सुनाये हम,
दिल किसी से जरा नही मिलता।

ढूंढती रहती हूँ किसे खुद में,
कोई मुझमें छुपा नही मिलता।

सब्र थोड़ा “शरर” रखो कायम,
अब वफ़ा का सिला नही मिलता।
अल्का जैन ‘शरर’

अल्का जैन 'शरर'

नाम- अल्का जैन 'शरर' शिक्षा- LLB व्यवसाय- स्व व्यवसाय, कॉउंसलिंग, कंटेन्ट राइटिंग, सोशल वर्क, पता- गीता किरण सोसायटी, c-39, 3rd फ्लोर, जे. पी. रोड, वर्सोवा, अँधेरी (w) मुम्बई पिन- 400053