गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : साहिल पर बैठकर…

साहिल पर बैठकर लहरों का मजा लेते हैं,
हम तो किनारे पर ही खुद को डुबा देते हैं।

हमसे गलतियां हो जाती हैं अकेले में,
और वो सरेआम हमको सज़ा देते हैं।

गैरों से डरने की जरूरत नही यारो,
अक्सर अपने ही तो लोग दग़ा देते हैं।

वो ये क्यूँ नही कहते कि वहाँ ठिकाने नही,
वो लोग जो हमें आसमानों का पता देते हैं।

चलो अब यही सोचकर सुना दो अपनी भी,
कि हम भी तो अपनी हर बात बता देते हैं।

जी आर वशिष्ठ

जी आर वशिष्ठ

नाम: जी आर वशिष्ठ पता:मकान न.-635, वार्ड न.-2, भगतसिंह सर्किल के पास कदम कॉलोनी,रामबास, तहसील- गोविंदगढ़ , जिला- अलवर, राजस्थान पिन:- 301604 पेशे से मूर्तिकार हूँ ,राजनीति विज्ञान से स्नातकोत्तर उत्तरार्द्ध में अध्ययनरत हूँ। थोड़ा-बहुत लिखता भी हूँ.. मेरी रचनाऐं जिन समाचार पत्रों में आती रहती हैं , उनमें प्रमुख दैनिक वर्तमान अंकुर, नोयड़ा, दैनिक नवप्रदेश, छत्तीसगढ़, दैनिक हमारा मेट्रो, नोयड़ा, राजस्थान की जान, चूरू आदि हैं..