मनुस्मृति के विरुद्ध जनांदोलन और हमारा कर्त्तव्य
समाचार पत्र में पढ़ने को मिला की 3 जनवरी को जयपुर में “मनुवाद विरोधी सम्मेलन संपन्न” हुआ। इस सम्मलेन में मनु स्मृति, मनु मूर्ति और मनुवाद के विरुद्ध जन आन्दोलन का ऐलान किया गया। सावित्री बा फुले की जयंती के मौके पर राजस्थान भर से आये प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मनुवाद विरोधी सम्मेलन का आयोजन किया गया,जिसमें सर्वसम्मति से तय हुआ कि राजस्थान उच्च न्यायालय के परिसर में लगी मनु की मूर्ति के हटने तक देशव्यापी आन्दोलन किया जायेगा।
हमारा कर्त्तव्य
इस द्वेष को फैला कर अपनी राजनीतिक रोटियों सेंकने वालों को प्रतिउत्तर देने के लिए हमें क्या करना चाहिए। यह हमारे लिए अच्छा अवसर है अपनी बात कहने का कि मनुस्मृति में प्रक्षेप हुआ था। इस प्रक्षेप को दूर करके मनुस्मृति के विशुद्ध रूप को ग्रहण करना चाहिए। हमें कुछ कार्यों को शीघ्रता से पूरा करना होगा।
२. दोनों का अंग्रेजी /क्षेत्रीय भाषायों में अनुवाद करवा कर उनका प्रकाशन।
३. मनुस्मृति और शुद्र। मनु स्मृति और नारी, मनु स्मृति और पशु वध, आज के समय मनु स्मृति की प्रासंगिकता जैसे छोटे ट्रैक्स/फ़ोल्डर्स का बड़ी संख्या में वितरण हेतु प्रकाशन।
४. मनुस्मृति पर youtube विडियो रिकॉर्डिंग करवा कर इन्टरनेट पर प्रकाशन।
५. राष्ट्रीय अख़बारों में मनुस्मृति के पक्ष में लेखों का प्रकाशन।
६. देश के सभी नेताओं। MP, राज्यपाल, चीफ मिनिस्टर, संस्कृत, हिंदी, इतिहास, सामाजिक विज्ञान के विश्वविद्यालयों, दलित मंचों आदि को मनुस्मृति के सम्बन्ध में साहित्य भेंट करना।
इस कार्य को युद्ध गति से करने के लाभ।
१. बहुत बड़ी संख्या में सवर्ण समाज एवं दलित समाज के युवक भी मनुस्मृति के विषय में सत्य तथ्य को नहीं जानते। उन तक हमारी बात पहुँचेगी।
२. बहुत बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी वर्ग भी मनुस्मृति के विषय में सत्य तथ्य को नहीं जानते। उन तक हमारी बात पहुँचेगी।
३. देश को तोड़ने वाली ताकतों को प्रतिउत्तर।
४. हिन्दू समाज की एकता को तोड़ने वाली ताकतों को प्रतिउत्तर।
५. स्वामी दयानंद के चिंतन से आज के समाज को परीचित करवाने का सुयोग्य अवसर।
आप में से कौन कौन इस अभियान में हमारा सहयोग करेगा।
— डॉ विवेक आर्य