कविता

हत्या

गली में खेलते
बच्चों को देखकर,
जाग उठा था
मेरे भी अंदर का बचपन…
मन किया मैं भी खेलूं
इन बच्चों के साथ…
करूँ शरारतें इन्ही की तरह..
भागू मैं भी
किसी के दरवाजे पर लगी
घंटी को बजाकर….
दौड़ता फिरूँ नंगे पाँव…
कभी गिर पडूँ यूँ ही
साईकिल चलाते हुए..
लेकिन ये क्या…
अचानक याद आ गयी
ये दुनिया…ये झूठी दुनिया…
दिमाग ने दागा एक विचार दिल पर…
कि क्या कहेंगे लोग.
और बच्चों की शरारतों से
ध्यान हटाकर.
चल दिया मैं ऑफिस के लिये …
आज भी ..फिर से मन में जागे
बचपन का गला घोट दिया मैंने…
फिर से समझदारी नें हत्या कर दी
बचपन की ….

– जी आर वशिष्ठ

जी आर वशिष्ठ

नाम: जी आर वशिष्ठ पता:मकान न.-635, वार्ड न.-2, भगतसिंह सर्किल के पास कदम कॉलोनी,रामबास, तहसील- गोविंदगढ़ , जिला- अलवर, राजस्थान पिन:- 301604 पेशे से मूर्तिकार हूँ ,राजनीति विज्ञान से स्नातकोत्तर उत्तरार्द्ध में अध्ययनरत हूँ। थोड़ा-बहुत लिखता भी हूँ.. मेरी रचनाऐं जिन समाचार पत्रों में आती रहती हैं , उनमें प्रमुख दैनिक वर्तमान अंकुर, नोयड़ा, दैनिक नवप्रदेश, छत्तीसगढ़, दैनिक हमारा मेट्रो, नोयड़ा, राजस्थान की जान, चूरू आदि हैं..