ग़ज़ल
चैन दिन का नींद रातों की चुराकर चल दिए
वो हमारे दिल को भी अपना बनाकर चल दिए।।
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हमपे अपने प्यार का जादू चलाकर चल दिए
जाने कितने ख्वाब पलकों पर सजाकर चल दिए ||
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वक्त के साँचे में लो हमको भी ढलना आ गया
बीती बातें आज हम दिल से भुलाकर चल दिए ||
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इश्क की राहों पे चलना है नहीं आसान पर
उनकी खातिर हम शगुन सारे मनाकर चल दिए
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आईना करने लगा सारी हकीकत जब बयां
शर्म से फिर वो निगाहों को झुकाकर चल दिए ।।
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मुस्कुराने का ‘”रमा” हमको भी मौका तब मिला
फ़िक्र को हम जब हवाओं में उड़ाकर चल दिए
रमा प्रवीर वर्मा……