लघुकथा

लघुकथा : बातों के धनी

 चालीस वर्षीय जाने – माने समाज सुधारक कमल ‘पुष्प’ जी सामने बैठे श्रोताओं को बता रहे थे, “माता – पिता की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है। जो माता-पिता की सेवा नहीं करता है, उसे ईश्वर कभी क्षमा नहीं करेगा। माँ-बाप चाहे जो भी कहें, उसे हमें आशीर्वाद के रूप में लेना चाहिए। उनकी कड़वी बातों में भी भलाई छुपी रहती है। श्रवण कुमार की कथा तो…।” अभी पुष्प जी अपनी बात पूरी करते कि श्रोताओं में मौजूद एक जिज्ञासु ने कहा, “मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं आपके माता-पिता के दर्शन करूँ।”
     यह सुनते ही बातों के धनी ‘पुष्प’ जी बोले, “मैं तो खुद भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ लेकिन वे पिछले बीस वर्षों से विदेश में मेरी बड़ी बहन के साथ रहते हैं।”
सुभाष चन्द्र लखेड़ा

सुभाष चंद्र लखेड़ा

* रक्षा शरीरक्रिया एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान ( डिपास ) से वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद से सन 2009 में सेवा निवृत * वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों से जुड़े लगभग तीस से अधिक शोध पत्र एवंरिपोर्ट; प्रथम शोध पत्र वर्ष 1974 में " प्रोसीडिंग्स ऑफ़ रॉयल सोसाइटी लंदन " में प्रकाशित * राजभाषा संबंधी कार्यों का विवरण : * राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार - प्रसार के लिए विगत 35 वर्षों से प्रयासरत * एक हजार पांच सौ से अधिक वैज्ञानिक लेख और विविध रचनाएं राष्ट्रीय स्तर की पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित * बाईस विज्ञान कथाएं प्रकाशित * आकाशवाणी से विज्ञान विषयक 150 वार्ताएं प्रसारित प्रकाशित पुस्तकें : * खेल, खिलाड़ी और विज्ञान ( 1996 ) * लघुकथाएँ वैज्ञानिक की कलम से ( 2015 ) * वैज्ञानिकों के रोचक और प्रेरक प्रसंग ( 2015 ) * पैदायशी पागल - लघुकथा संग्रह ( 2015 ) * मेरी रोचक एवं प्रेरक लघु कथाएँ ( 2015 ) * राजभाषा के प्रचार - प्रसार संबंधी " आमंत्रित व्याख्यानों का दीर्घ अनुभव * पुरस्कार एवं सम्मान : (क ) * हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद्, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा दो बार उत्कृष्ट विज्ञान लेखन हेतु पुरस्कृत ; * विज्ञान परिषद् प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा " विज्ञान वाचस्पति " की मानद उपाधि ( 1998 ) एवं " व्हीटेकर पुरस्कार ( 1999 ) ; * केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद् , नई दिल्ली द्वारा हिंदी के प्रचार - प्रसार में उल्लेखनीय योगदान हेतु सम्मानित; * मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2009 के "आत्माराम पुरस्कार " तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के कर कमलों से सम्मानित ! ( ख ) 1. वर्ष 1987 में " सर्जन रिअर एडमिरल एम एस मल्होत्रा रिसर्च प्राइज़"; 2. वर्ष 2002 में वैज्ञानिक कार्यों में सर्वोत्तम योगदान और सहयोग के लिए " डॉ जे सेनगुप्ता अवार्ड "; 3. वर्ष 2005 में वैज्ञानिक और तकनीकी समन्वय और उसके जन - प्रसार के लिए " निदेशक पुरस्कार से सम्मानित * युवा हिंदी संस्थान, अमेरिका द्वारा हिंदी में विज्ञान लेखन हेतु दिसंबर 2012 में न्यू जर्सी में सम्मानित * हिंदी माध्यम से विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए विज्ञान परिषद् प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा " विज्ञान परिषद् प्रयाग शताब्दी सम्मान " - 2012 * पर्वतीय लोकविकास समिति,नई दिल्ली द्वारा 19 जनवरी 2014 के दिन उत्तरायणी महोत्सव - 2014 में " पर्वत गौरव सम्मान " ! * विश्व हिंदी ज्योति, कैलिफ़ोर्निया शाखा की सांस्कृतिक संध्या के शुभ अवसर पर सम्मानित जुलाई, 2014 ------------------------ * बाल्यकाल से ही हिंदी के प्रति अनुराग रहा; छात्र जीवन से ही लिखने का शौक रहा. वर्ष 1980 से हिंदी के प्रचार - प्रसार से जुड़ा. केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद् , नई दिल्ली; विज्ञान परिषद् प्रयाग, इलाहाबाद एवं हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद्, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई का आजीवन सदस्य ; * वर्ष 1988 - 1990 के दौरान महामंत्री,केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद् ; के रूप में हिंदी की सेवा का अवसर मिला. * देश के विभिन्न नगरों में स्थित संस्थानों में राजभाषा संबंधी आयोजनों में शिरकत ! केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की राजभाषा कार्यान्वयन समितियों में वर्ष 1988 - 1996 तक सहभागिता. * केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित " विज्ञान पुस्तक पुरस्कार "योजनाओं की चयन समितियों में सहभागिता. * " विज्ञान प्रगति " पत्रिका की सलाहकार समिति का मानद सदस्य ( 2004 - 2006 ) * स्पंदन, प्रस्तुति एवं विज्ञान गंगा नामक पत्रिकाओं का संपादन सम्प्रति : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद से सन 2009 में सेवा निवृत, राजभाषा के प्रचार - प्रसार में निरंतर योगदान ! सुभाष चंद्र लखेड़ा, सी - 180 , सिद्धार्थ कुंज, सेक्टर - 7, प्लाट नंबर - 17, द्वारका, नई दिल्ली - 110075 फोन : 011 - 25363280 ; मो० : 09891491238 [email protected]