शिशुगीत

शिशुगीत – २५

१. बसंत

ऋतु बसंत की फिर आयी है
बागों में खुशियाँ लायी है
जाड़ा भागा, तितली गाती
मेरे मन को वह भायी है

२. नींद

नींद नहीं लेता जो पूरी
उसको सेहत मिले अधूरी
बुद्धि ठीक से काम न करती
खुशी बना लेती है दूरी

३. योग

हम बचपन से योग करेंगे
स्वस्थ रहेंगे, मस्त रहेंगे
अच्छी ये आदत सब डालें
तन-मन सुंदर खूब बनेंगे

४. नकल

नकल परीक्षा में मत करना
जितना पढ़ा, वही बस लिखना
चोरी बहुत बुरी आदत है
सीख याद ये रखकर चलना

५. फिल्में

फिल्मों की आदत मत डालो
टीवी पर तुम न्यूज चला लो
खबर रहेगी दुनियाभर की
बात नहीं मेरी ये टालो

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन