किसान
सुर्य की पहली किरण
जब लालिमा लिए हुए
पूरब की ओर दिखाई पड़ता है
उठ जाते है सब खाट छोड़
अपने काम में लीन हो जाते है
किसान भैया भी हमारे
अपने बैलों को ले
पतले पगडंडी से होकर
खेत की ओर चल पड़ते हैं
सर्दी में ठंड से ठिठुरते
गर्मी में तपिश से जलते
बरसात में भिगते हुए भी
अपने कामों में तत्पर रहते
फिर भी इन्हीं को
क्यों सभी कम आंकते हैं
जो सबका पेट भरता
वहीं आज भूखे सोता है
जर्जर स्थिति बनी हुई है इनकी
ध्यान किसी की न जाती है|
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’