कविता

हसरतें

कुछ अधूरी सी हसरतें भरी रही मेरे जीवन में
दिल को कैसे भताऊ आँसू भरे इन आँखो से

ये कैसी साज़िश बनाई हमें मरने की हो यारा
दिल मिलकर इस दिल से क्यूँ किया किनारा

तुम्हारा दिल भी जानता है हमारी सारी हसरतें
नही जानते तो मैं और तुम यू चुप भी क्यूँ होते

जब कभी मिले हम इक अजनबी की ही तरह
कैसे भताए हसरतें भरी निगाहे दिल का विरह

किस्मत ने ख़ूब आंसू बहाए तुम से प्यार कर
मिली मुझे बे-किस्मती से प्रेम की दूरियाँ पर

इस बात पर आज तक “राज” हुआ शर्मिंदा
प्रेम भरे दिल की हसरतें ख़त्म कर अलविदा

✍?– राज मालपाणी
शोरापुर – कर्नाटक

राज मालपाणी ’राज’

नाम : राज मालपाणी जन्म : २५ / ०५ / १९७३ वृत्ति : व्यवसाय (टेक्स्टायल) मूल निवास : जोधपुर (राजस्थान) वर्तमान निवास : मालपाणी हाउस जैलाल स्ट्रीट,५-१-७३,शोरापुर-५८५२२४ यादगिरी ज़िल्हा ( कर्नाटक ) रूचि : पढ़ना, लिखना, गाने सुनना ईमेल : [email protected] मोबाइल : 8792 143 143