राजनीति

एक पाती मुलायम भाई के नाम

स्वस्तिश्री लिखीं चाचा बनारसी के तरफ से मुलायम भाई को शुभकामना पहुँचे। आगे समाचार हौ कि तुम्हरे बाप-बेटा की लड़ाई से हमार चिन्ता बढ़ गई है। ना तो तुम पीछे हटने के लिए तैयार हो और न तुम्हारा बेटवा। तुम तो पहलवान रहे हो। अपने बाहुकण्टक दांव में फँसाकर तुमने कितनों को चित किया है। सोनिया भौजी तो तुम्हारा बाहुकण्टक दांव ताउम्र नहीं भूल सकतीं, जब तुमने अटल जी की तेरह महीने की सरकार  गिरने के बाद उनके पी.एम. बनने के सपने को ऐन वक्त पर चकनाचूर कर दिया था। तुम्हारे दांव को मायावती आज भी याद करती हैं, जब गेस्ट हाउस में तुम्हारे चेलों ने उनकी साड़ी-ब्लाउज़ के तार-तार कर दिए थे। हमारी समझे में नहीं आ रहा है कि पहलवान तुम हो और धोबिया पाट का इस्तेमाल अखिलेशवा कर रहा है। भाइ मुलायम, बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है। दूसरी पत्नी के चक्कर में बुढ़ापा बर्बाद करने पर काहे तुले हुए हो। हमहुं यह मानता हूँ कि पहली बीबी पांव की जूती होती है और दूसरी सिर की टोपी। अमर सिंह ने बुढ़ौती में सुन्दर युवती से तोहर बियाह कराके तोके बांड़ होने से बचा लिया; लेकिन एकर मतलब इ तो नाहीं है न कि अपने सगे बेटवा को अपना दुश्मन बना लो।

भैया, तोहरी आवाज और तोहरे पैर तो अभिए से लड़खड़ाय लगे हैं; अब तो गिनती के दिन बचे हैं, राजपाट बेटवा को दे देना ही हमके उचित लग रहा है। पाण्डवों के पूर्वज ययाति की भोगलिप्सा इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने अपने बेटे की जवानी उधार ले ली, फिर भी वे तृप्त नहीं हुए। तुम भी काहे ययाति बन रहे हो? अब टैम आ गया है संन्यास लेने का। अडवानी और जोशी की तरह मार्ग दर्शक काहे नहीं बन जाते? शिवपलवा, अमर और साधना के चक्कर में पड़कर अपना इहलोक तो बर्बाद करिए रहे हो, परलोकवा भी हाथ से चला जाएगा। सायकिल के पीछे काहे पड़े हो, अब तुम्हरी उमर छड़ी लेकर चलने की हो गई है। कभी-कभी हमरे दिमाग में यह भी आता है कि जो टीवी पर देख रहा हूँ वही सत्य है या पर्दे के पीछे कोई और ड्रामा खेला जा रहा है। तुम छोटे-मोटे पहलवान नहीं हो। तुम्हारा दांव वी.पी. सिंह, चन्द्रशेखर, सोनिया भौजी और बहन मायावती भी नहीं समझ पाईं, तो हमार का औकात हौ? हम तो ऐसही कचौड़ी-जिलेबी के बाद भांग का एक गोला खाकर पान घुलाते हुए अन्दाज लगाता रहता हूँ। कही तुम और अखिलेश नूरा कुश्ती तो नहीं लड़ रहे हो?

पिछला पांच साल में ५०० दंगा, बुलन्द शहर का रेप काण्ड, कैराना से हिन्दुओं को भगाने, कानून व्यवस्था गुण्डों के हवाले करने, जमीनों पर जबरन कब्जा करने, गो हत्यारों को करोड़ों रुपया देने और अपनी बिरादरी के लोगों को ऊंचे पदों पर बैठाने के अलावे बेटवा की भी कोई उपलब्धि नहीं है। कहीं इन मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए तुम दोनों शो मैच तो नहीं खेल रहे हो? भाई मुलायम, तोहर थाह पाना बहुते मुश्किल काम है। अगर झगड़ा सचमुच का है, तो एमें तोके खुशे होना चाहिए। कम से कम तोहर बेटवा इ काबिल तो हो गया कि अब धोबिया पाट में एक्सपर्ट हो गया है। हर बाप चाहता है कि बेटे का कद और पद बाप से बड़ा हो जाय। तोके परेशानी कवना बात के हौ? अगर अगले चुनाव के बाद वह मुख्यमन्त्री नहीं भी बना, तो भी वह बेकार नहीं बैठ सकता। तुम उसको विदेश में भेजकर इंजीनियर बनाये  हो। वह सोनिया भौजी के पपुआ की तरह तो है नहीं कि कंपीटिशन देकर चपरासी की नोकरी भी हासिल न कर सके। अपना अखिलेशवा बंगलोर में कवनों कंपनी में नोकरी करके बीबी बच्चों का पेट पाल सकता है। तोके त अपना बेटवा पर नाज़ होखे के चाहीं आ इहां तू ओकरे टांग खींचने पर तुले हो। देखऽ मुलायम। हमार बात के गांठ बांध लेना, अन्त समय में बेटवे काम आयेगा। शिवपलवा सबसे पहले साथ छोड़कर भागेगा।

चिट्ठी में केतना सलाह दूं। जल्दिए लखनऊ आऊंगा, तब डिटेल में बतकही होगी।

इति शुभ,

तोहार आपन

चाचा बनारसी

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.