“कुंडलिया”
हिंदी बिंदी शालिनी, मेरा हिंद महान
वाणी वीणा सादगी, माने सकल जहान
माने सकल जहान, हिंदी की दरियादिली
सब करते गुणगान, श्रीफल औषधि गुन विली
गौतम कवि रसखान, सुशोभित माथे बिंदी
रस छंद अलंकार, समास सुसंकृत हिंदी॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी