लघुकथा

कुश्ती

नन्हीं चीनी अपने माँ की उंगली थामे स्कूल से घर जा रही थी । नौ वर्षीया  चीनी चौथी कक्षा की छात्रा थी ।
रास्ते में एक पार्क में कुश्ती के गूर सीखते कुछ बच्चे उसे दिखाई पड़े । अपने माँ की उंगली छोड़ चीनी उन्हें देखने लगी । चीनी को पीछे  रुका देख उसकी माँ ने पलटकर चीनी की तरफ देखा और उसे उन लड़कों की तरफ देखते हुए पाकर उसे समझाया ” बेटी ! वह लड़कों का खेल है  और तू लड़की है । तुझे इसमें दिलचस्पी नहीं लेनी चाहिए । ”
तुरंत ही चीनी ने मासूमियत से जवाब दिया ” लेकिन मम्मी ! कल हमने जो मूवी देखी थी उसमें तो वह कुश्ती में  इनाम जीतनेवाली लड़की ही थी न ? “

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।