ग़ज़ल
तेरी चाहत ने मुझे ढेर सारा प्यार दिया
जीवन भर साथ निभाने वाला यार दिया
बातचीत न हो गर रिश्तों में दूरियाँ बढ़ाती
तुम से मिलकर रबने रिश्तों का द्वार दिया
मतलबी होगए सारी दुनिया के हर रिश्ते
तेरे रूप में शायद भगवान ने उपहार दिया
भीड़ में शायद हम धुँधले से नज़र आए
जितना भी मिला सब तुमने उधार दिया
हर जन्म साथ निभाने की बात करने वाले
चंद दिनो में ही प्यार का चोला उतार दिया
जिन्हें दिन का हर पल भी कम पढ़ता था
आज वो सिर्फ़ उन पलो का इंतजार दिया
भीड़ भरी दुनिया में प्रेम का रिश्ता खोगया
बाहरी भीड़ में ख़ुद ही प्यार को वार दिया
यू चका चौंध चाहे कितनी भी हो मेरे यारा
दिल में सिर्फ़ तुम्हें”राज”ने अधिकार दिया
✍? — राज मालपाणी
शोरापूर – कर्नाटक