कविता

कविता : रँगना है मुझे

रँगना है मुझे
उसी रंग में तुम्हारे
जिसमे रंग के
मेरी सुबह का सूरज रौशन होता है
और मेरी रातें
चंदनी से पुरनूर होती हैं ।

तुम्हारा वही रंग
जिसमे घुल के
मेरा आसमां नीला है
और हवाओं में जीवन है
वो रंग जिसे लेकर
फूल खिलते हैं सारे
जंगल है हरा भरा और
खेतों में हरियाली है।

तितलियों के पर चमकते हैं
तुम्हारा वो रंग
जिससे इंद्रधनुष के
सप्त रंग निखरते हैं
रंग लो मुझे भी
अपने किसी भी रंग में
तुम्हारा तो हर रंग न्यारा है
जहाँ के हर रंग से प्यारा है
-सुमन शर्मा

सुमन शर्मा

नाम-सुमन शर्मा पता-554/1602,गली न0-8 पवनपुरी,आलमबाग, लखनऊ उत्तर प्रदेश। पिन न0-226005 सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें- शब्दगंगा, शब्द अनुराग सम्मान - शब्द गंगा सम्मान काव्य गौरव सम्मान Email- [email protected]