कविता : रँगना है मुझे
रँगना है मुझे
उसी रंग में तुम्हारे
जिसमे रंग के
मेरी सुबह का सूरज रौशन होता है
और मेरी रातें
चंदनी से पुरनूर होती हैं ।
तुम्हारा वही रंग
जिसमे घुल के
मेरा आसमां नीला है
और हवाओं में जीवन है
वो रंग जिसे लेकर
फूल खिलते हैं सारे
जंगल है हरा भरा और
खेतों में हरियाली है।
तितलियों के पर चमकते हैं
तुम्हारा वो रंग
जिससे इंद्रधनुष के
सप्त रंग निखरते हैं
रंग लो मुझे भी
अपने किसी भी रंग में
तुम्हारा तो हर रंग न्यारा है
जहाँ के हर रंग से प्यारा है
-सुमन शर्मा