ग़ज़ल
वो बात ही कुछ ऐसी कर गए होंगे
कि ख्वाब पलकों से फ़िसल गये होंगे ।।
यूँ तो बेदर्द नही था वो कभी इतना
वक्त अपनी करवट बदल गए होंगे ।।
धूल चेहरे पे उड़ाते रहे कि पहचान न हो
अश्क भी बहने से मुकर गए होंगे ।।
शहर में चर्चा गर्म था अपनी आशनाई का
दिल, दिलजलों के जल गए होंगे ।।
हवाओं ने ख़बर ये आस्मां तक उड़ा डाली
तब बादल कई घर से मचल गये होंगे।।
अब वो मुड़ मुड़ के देखते हैं परछाइयाँ मेरी
धूप के पहरे कुछ बदल गए होंगे ।।
— प्रियंवदा अवस्थी