गज़ल
खिलौना जब बनाया दिल किसी ने
किसी का तब रुलाया दिल किसी ने
किसी ने प्यार की थपकी लगाई . .
ज़फाकर के दुखाया दिल किसी ने
सभी मतलब परस्ती दोगले हैँ …………….
नहीं दिल से मिलाया दिल किसी ने
हमें महसूस ये क्यों हो रहा है . .
नजर से है हटाया दिल किसी ने
कुचल डाला भरा अरमान से था ..
कभी था खिलखिलाया दिल किसी ने
मसीहा हम बने फिरते सभी के . . .
हमारा ही सताया दिल किसी ने
सज़ी थी चांद सी दुल्हन किसी की
सितारों सा सज़ाया दिल किसी ने
गए जब रूठकर के बज़्म से हम
तङपकर के मनाया दिल किसी ने
बङे भोले बङे मासूम हम थे
नज़र से ही लुभाया दिल किसी ने
सुनी कल राह में ये खूब चर्चा
मुहब्बत से हराया दिल किसी ने
रहे थे लोग हमसे पूछ बातें
कहो कैसे दुखाया दिल किसी ने
मचा है शोर सा हर सूं ये ‘ कैसा
शहर का फिर जलाया दिल किसी ने
हजारों आह निकली आस टूटी
गरीबों का सताया दिल किसी ने
गगन से नूर लेकर आप आए
जमीं का भी सज़ाया दिल किसी ने?
भरोसा था हमें इस दिल पे’ कितना
किया कैसे चुराया दिल किसी ने
वफ़ा की हर रस़म हमने निभाई
नज़र से क्यों गिराया दिल किसी ने
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अंकिता