गीत/नवगीत

गीत सुनाने निकली हूँ

भारत माँ की बेटी हूँ और गीत सुनाने निकली हूँ,
वीरों की गाथा को जन जन तक पहुँचाने निकली हूँ,
भारत माँ के शान के खातिर सरहद पर तुम ड़टे रहे,
सर्दी गर्मी बरसातों में भी तुम अड़िग वीर बन खड़े रहे,
कोई माँ कहती है कि मेरा लाल गया है सीमा पर,
दुश्मन को हुँकारों से ललकार रहा है सीमा पर,
उनकी देशभक्ति एक सच्ची मिशाल दिखाई देती है,
हर सरहद पर जय हिन्द की एक गूँज सुनाई देती है,
मेरी कलम सतत् चल करके गौरव गाथा लिखती है,
वीरों की अमर शहादत पर ये आँसू आँसू दिखती है,
अड़तालीस पैसठ इकहत्तर के बरस सुहाने बीत गए,
पाक तुम्हारी गुस्ताखी पर कड़ा प्रहार हर बार किए,
वीर शहीदों की यादों में दीप जलाने निकली हूँ,
भारत माँ की बेटी हूँ और गीत सुनाने निकली हूँ .

पाक कभी तुम न भूलो की हिन्द वतन के बेटे हो,
ठण्ड़ी चिंगारी को क्यों हर बार जला तुम देते हो,
तुम्हे गुरूर है उन सांपों पर जिनको दूध पिलाते हो,
समय समय पर उन सांपों से तुम खुद काटे जाते हो,
एक बात बताऊ पाक तुम्हे तुम कान खोलकर सुन लेना,
यदि जीना है तुमको तो जेहादी मंसूबों को छोड़ ही लेना,
वरना वीरों की टोली इस बार लाहौर तक जाएगी,
इतिहास नहीं इस बार भूगोल बदल दी जाएगी,
इन वीरों के शौर्य गान को गर्व समझकर गाती हूँ,
अदना सी मै कलमकार हूँ दिनकर की परिपाटी हूँ,
सच कहती हूँ ऐ वीरों तुम हिन्द वतन की शान हो,
गौरव और अमिट गाथा की तुम ही एक पहचान हो,
हिन्द वतन के वीरों की ललकार सुनाने निकली हूँ,
भारत माँ की बेटी हूँ और गीत सुनाने निकली हूँ.

भारत माता – अमर रहें

शालिनी तिवारी

अन्तू, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं । पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ साथ वर्षो से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती है । लेखिका द्वारा समाज के अन्तिम जन के बेहतरीकरण एवं जन जागरूकता के लिए हर सम्भव प्रयास सतत् जारी है । [email protected]