कभी देखा है ?
कभी चिड़ियों को चहचहाते देखा है ?
कभी भवरों को गुनगुनाते देखा है ?
कभी बच्चों को खिलखिलाते देखा है ?
कभी सूरज को उगते डूबते देखा है ?
देखना है तो आँख बंद करके देखो
अपने अंदर के खजाने को कभी देखा है ?
नदी को कलकल बहते हुए देखा है ?
घोड़े को हिनहिनाते हुए देखा है ?
जीवन कि दौड़ में, मैं ही मैं करते हुए
आदमी को मरते हुए कभी देखा है ?
यह भी मिल जाए वो भी मिल जाए
आदमी को करते हुए कभी देखा है ?
बुद्ध नानक कबीर के चेहरे पर
फ़ैली हुई आभा को कभी देखा है ?
जाने हुए रास्तों पर तो सभी चलते है
अनजान रास्तों पर चल कर भी कभी देखा है ?