कविता – मन का दुःख बडा होता है
मन का दुख बडा होता है
माना तुझको कष्ट बहुत है
लेकिन मेरा हाल बुरा है
तेरी तो कन का पीडा है
मेरा तो मन ही उखडा है
मोरी चीख निकल पडती है
पीडा से तू जब रोता है
मन का ………..
तेरा मेरा क्या रिश्ता है
जो मैं तुझको याद करूं
तेरे दुख निवारण हेतु
क्यों आँसू बर्बाद करूं
अपना दुखडा किससे रोउं
अब दुख सहन नहीं होता है
मन………..
सामने तेरे मैं हँसता हूं
पर ये कोई हँसी नहीं है
तेरी वो प्यारी आवाजें
दिल में मेरे छिपी हुई हैं
सुनने को ‘भइया’ मन
तेरी कसम बहुत रोता है
मन का ……
— शिवम शर्मा