“दोहे”
माँ माँ कहते सीखता, बच्चा ज्ञान अपार
माँ की अंगुली पावनी, बचपन का आधार॥-1
आँचल माँ का सर्वदा, छाया दे लीलार
ममता माँ की सादगी, पोषक उच्च बिचार॥-2
माँ बिन सूना सा लगे, हर रिश्तों का प्यार
थपकी में उल्लासिता, गुस्सा करे दुलार॥-3
करुणा की देवी जयी, चाहत सुत उपकार
क्षमा शील संवेदना, माता का शृंगार॥-4
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी