कविता

बसन्त….

मन में फिर से प्यास जगाया
पिया मिलन की आस जगाया
खेतों मे कुछ फूल हैं पीले
हर्षित मन है दिल हैं खिले
प्रकृति भी गजब इठराई
कली – कली ले रही अगड़ाई
मौसम जैसे पास बुलाता
धूप के संग जाड़ा दिखलाता
आओ हम भी खो जाते हैं
अब की इनके हो जाते हैं
जीवन के अब रंग चलेगें
फगुआ के संग भंग चलेगें
इस बहाने उस बहाने
उनके संग खूब छेड़ तराने
जहाँ मिला था साथ तुम्हारा
बात तुम्हारी हाथ तुम्हारा
वो पथ फिर से चहक रहे हैं
कुछ लोग फिर से बहक रहे हैं
शरद का बस अब अन्त है आया
फिर से देखो बसन्त है आया

…..बसन्तोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

– डॉ० शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी,
लखनऊ
mobile no. 8299546343

डॉ. शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी

जन्म 10.07.1981 को ग्राम चरौवां, जिला बलिया उ.प्र. में इंटर तक की पढ़ाई डीएवी इंटर कालेज, बिल्थरा रोड, बलिया से। बी.ए. तथा प्राचीन भारतीय इतिहास में एम.ए. और पीएच.डी. लखनऊ विश्वविद्यालय से। इतिहास विषय में राज्यस्तरीय पात्रता परीक्षा (SLET) तथा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) भी उत्तीर्ण कीं। पश्चात् अवध विश्वविद्यालय से मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास में एम.ए. किया। सम्प्रति लखनऊ के एक डिग्री कालेज में इतिहास के प्रवक्ता पद पर कार्यरत। किताब, शोध पत्र और कवितायें प्रकाशित। मंचों पर भी काव्यपाठ करते हैं। मो. नं. 8299546343 ईमेल- shardendu.t@gmail.com