मस्ताने की दोस्ती!
कोई दिवाना कहेता है,कोई मस्ताना कहेता है।
मगर मेघ की फरियाद को,बस मयूर समझता है!
नजदीक तो हैं हम यहाँ,जिस्मों की दूरी है।
रुह से तुभी मेरी,मैं भी तेरा रोम-रोम कहेता है!
इक अन्जान राह पे,अकेले ही भटक रह।
कीसी ने थामा हाथ़ तो,वहीं पे ही खो गया!
मंजील को भूल के,कर बैठा मार्ग से प्यार।
अंधेरी रात में मयूर,पूनम का कर रहा इंतजार!
दोस्ती तो दिल से दिल की,एक ही रवानी है।
कहीं सुदामा,कहीं द्रोपदी की एक ही कहानी है।
ये दुनिया कहेती,यहाँ कान्हा की बहोत सी पटरानी है।
फिर भी उस ग्वाले की,यही दुनिया प्रेम दिवानी है!
यूँ राधा को क्रिष्न से बिछडना भी जरुरी था!
दुनिया को मिसालें देके भी समझाना जरूरी था।
मार दिया जिसने मुझे,वो दास्तां कहेता हुँ,
उस दोस्ती को जीने ही,फिर इस जहाँ में आता हुँ!
मैं तुझ से रुठ नहिं सकता,ये तो तेरी रुसवाइ है।
यूँ पागल बेबसा हुँ मैं,तु खुद से बेवफा हुइ है!
शमा पे जलने वाला,हर परवाना मरता है।
कोई दिवाना कहेता है,कोई मस्ताना कहेता है।
मयूर जसवानी
Note-:Poem for Friendship.
& Birthday Gift to my One & Only Friend.
1st line & lyrics inspired by Kumar Vishwas.