कविता

गजल

समय की दौड़ को कोई न पकड़ पाता है

होता मालूम नही वक्त गुजर जाता है

वक्त के साथ चलने वाला हर एक इंसान

अपनी मंजिल वो जल्दी पहुँच जाता है

समय से फूल खिलता है गुलसन मे

खुसबू देता है, समय से मुरझाता है

अपनी मंजिल का सफर समय से जो तय करता है

मै तो कहता हूँ वो जमाने के साथ चलता है

वक्त के साथ भी चलने मे क्या डरना

अपनी रहमत भी खुदा वक्त पे बरसाता है

राम बाबू गुप्ता

राम बाबू गुप्ता

उधौली, बाराबंकी मोबाइल 8004632051 पेशे से अधिवक्ता मेल [email protected]