प्रेम
मन से मन का मेल हुआ , प्रीत हर दिल में पले
राज ने रानी को देखा , आँखो में अब दीप जले
यूँही दिल में प्यार बढे , नयनो की भाषा मिले
पूर्ण अब हो प्रेम मेरा , प्रीत का कमल खिले
पढ़कर के गीत-ग़ज़ल , हर दिल के फूल खिले
स्वर्ण सा चमके प्यार , राज प्रीत की डगर चले
मिलन की आग में जले , जब दो प्रेमी के दिल
मधुर मिलन की आस में , मिलना चाहाँ हर पल
लबो पर तेरी थी प्यास , अब मेरे होंटो पर पले
‘राज-रानी’ के मिलन से , हर कोने में दीप जले
✍?..राज मालपाणी
शोरापुर – कर्नाटक