बस हिन्दूओं की बात ही पे विवाद क्यों
यह वही धरती है जहां हिन्दूओं के सहृदयता ने बौद्ध, सिख, जैन आदि धर्मों को जन्म दिया है । यह देश वही है जिसकी धरती पर जन्म लेने वाले स्वामी विवेकानंद ने सिकागो सम्मेलन में सिरकत करते हुये विश्व मंच पर सनातन परंपरा को स्थापित कर भारत का गौरव बढ़ाया था । जी हां, यह वही देश है जहां स्वयं भागवान कृष्ण ने गीता का सार बताकर मनाव जीवन को सफल बनाने के गुर सिखाये थें । पर समय के साथ यहां परिस्थितियां बदल चुकी हैं । आज इस देश की राजनीति तुष्टीकरण की अर्थी पर सवार है । और यही वजह है कि आज अपने ही देश में देश के बहुसंख्यक हिन्दू अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहें हैं ।
अब तो इस देश में आलम यह हो चला है कि अपने ही गृहराष्ट्र के विभिन्न राज्यों जैसे आसाम,बंगाल,केरल,उत्तर प्रदेश,काश्मीर के साथ-साथ संपूर्ण भारतवर्ष में हिन्दूओं पे हमले बढ़ रहें हैं । इतना ही नहीं बल्कि पिछले कुछ वर्षों में तो कश्मीर के साथ यूपी व बंगाल से भी हिन्दूओं के पलायन की खबरें आईं हैं । यूपी के कैराना, बंगाल के २४ परगना, धुलागढ़ जैसे स्थानों से हिन्दू पलायन करने को मजबूर हैं । वे भारी मन से दिल पर पत्थर रख अपने पुर्खों की सारी सम्पत्ति,घरबार सब छोड़कर किसी अनजाने शहर में गुजर बसर को बाध्य हैं ।
केरल और बंगाल में तो लगातार हिन्दूओं को परेशान किया जा रहा है । उनके दुकानों और घरों पे हमले हो रहें हैं । बहन-बेटियों के साथ दुष्कर्म की कोशिशें की जा रहीं हैं । युगों से शांति का संदेश देनेवाले हिन्दू आज अपने ही देश में जारी तुष्टीकरण की राजनीति के कारण घूंट घूंट कर जीने को बेबस हैं । और इसका ज्वलंत उदाहरण है पश्चिम बंगाल के धूलागढ़ में घटी दिल को झकझोर देनेवाली सांप्रदायिक घटना । जिसमें धर्म विशेष के बच्चों से लेकर बुढ़ों तक ने अपना जलवा दिखाया । सभी ने मिलकर बहुसंख्यकों के घर, दुकान, मंदिर सब तोड़ डाले । बचे हुए मकानों को जलाकर तहस-नहस कर दिया गया । धूलागढ़ में वर्षों से साम्प्रदायिक सद्भावना का संदेश देने वाले लोग आज बेघर व बेसहारा बन भटक रहें हैं ।
इन हमलों में सबसे खास बात यह है कि ये सारी घटनाएं पूलिसवालों की आखों के सामने हुए हैं । पर वे तमासबीन बनें सारा हंगामा देखते रहें ।
ये पूरी घटना पिछले वर्ष के आखिरी महिने की है । जब अल्पसंख्यकों द्वारा मनाये जानेवाले मिलाद-उन-नबी के अगले दिन यानी 13 दिसंबर को धूलागढ़ में अचानक ही हिन्दूओं पे हमला कर दिया गया । एकतरफा इस हमले में दिन-प्रतिदिन मामला बिगड़ता गया । पुलिस वालों के सामने लोगों को मारा-पीटा जाने लगा । उनके घर और मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया । पर इतना सब हो जाने के बाद भी प्रशासन मूकदर्शक बना रहा ।
आज केरल में भी परिस्थितियां एक जैसी ही हैं । वहां भी हिन्दूओं पे लगातार हमले हो रहें हैं । उनके अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है । पर उनके लिए आवाज उठाने वाला कहीं कोई नहीं है । अभी हाल ही में केरल के त्रिशूर में एक हिन्दूत्ववादी नेता की हत्या कर दी गई । और सबसे अहम बात यह रही कि इस हत्याकांड को एक मंदिर में चल रहे फेस्टिवल के दौरान अंजाम दिया गया । केरल में यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी केरल की सांस्कृतिक राजधानी त्रिशूर में ही अन्य एक हिन्दूत्ववादी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी । केरल में हिन्दूओं पे होनेवाली ये घटनाएं अब आम हो चली हैं । सिर्फ केरल में ही क्यों बल्कि पूरे देश में हिन्दूओं की हालत चिंताजनक है ।
यह किस्सा सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि आज की तारीख में तो विश्व के कई देशों में हिन्दूओं की परिस्थति निराशाजनक है । और इसका मूल कारण है कि आज उनके अधिकारों की खातिर आवाज उठाने वाला कोई नहीं है । विश्व मंच पर उनकी बात कहने वाला कोई विवेकानंद भी जन्म नहीं ले रहा । और यही वजह है कि आज हिन्दू समुदाय अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से भी अधिक पीड़ित है । पाकिस्तान और बांग्लादेश में तो उनपे जुल्मों-सितम के कहर ढाये जा रहें हैं । उनके साथ जानवरों से भी बद्तर सुलूक किया जाता है । धर्म परिवर्तन की खातिर उन्हे नर्क की जंत्रना दी जाती है । और इसीका नतीजा है कि वर्तमान समय में पाकिस्तान,बांग्लादेश सहित समूचे विश्व से हिन्दूओं की जनसंख्या दिन ब दिन घटती जा रही है ।
और इन सब पे अगर हम गौर करें तो देखेंगे कि हिन्दूओं पे हुए इन अमानवीय अत्याचारों के बाद भी मानव अधिकारों की बात करनेवाले दुनिया के किसी भी संस्था ने हिंदूओं पे हो रहे अत्यचारों के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई है । ना ही विश्व में तेजी से लुढ़कती हिंदू जनसंख्या को लेकर ही किसी ने हैरानी जाहिर की है । पर इन सबके बावजुद भी अमन पसंद हिन्दूओं ने सदा ही सहिश्नुता व सर्वधर्म सद्भावना पे ही बल दिया है । धर्म के नाम पर वर्षो से सताये जा रहे हिन्दूओं ने कभी भी कहीं भी धार्मिक उन्माद नहीं फैलाया है और नाही किसी धार्मिक उन्माद का समर्थन किया है । ऋषि-मुनियों के वसंज रहे हिन्दूओं ने सदैव ही अपने उपर हो रहे अत्याचारों का शांतिपूर्ण तरीके से ही विरोध किया है । और सायद यही वजह है कि हिंदूओं के समर्थन में कोई आगे नहीं आता । क्या राजनेता,क्या अभिनेता,क्या मीडियावाले किसी ने कभी भी हिन्दूहितों की बात नहीं की । और भूले-भटके अगर किसी ने हिन्दूओं के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की भी तो उसपे विवादित व्यक्ति का तमगा लगा दिया गया । हिन्दूओं के लिए सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि अब तक हिन्दूहितों के समर्थन में की जानेवाली सभी बयानों को विवादित की श्रेणी में ही रखा गया है ।
अपने अधिकारों के लिए मुंह खोलने वाले हिन्दूओं को भगवा आतंकवादी तक कहा जा रहा है । जबकि सारी दुनिया ये जानती है कि हिन्दूओं ने कभी भी आतंकवाद का सहारा नहीं लिया । हिन्दूओं ने सदैव ही दुनिया को शांति और भातृत्वभाव का पाठ पढ़ाया है । हिन्दू कभी किसी गैर हिन्दू का जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन नहीं करवातें बल्कि वे तो सर्वधर्म का सम्मान करना जानतें हैं ।
आज इस देश में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दूओं पर अत्याचार करना, उनके अधिकारों का हनन करना एक फैशन सा बन गया है । तभी तो किसी अखलाक के बहाने एक हिन्दूबहुल राष्ट्र में हिन्दूओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए बीफ पार्टीयों का आयोजन किया जाता है । गौ हत्या प्रतिबंधित होने बावजुद खुलेआम गोमांस खाने की बात स्वीकारी जाती है । पर इतना सब होने के बाद भी हिन्दू चुप रहता है । वो अपनी धार्मिक भावनाओं को कुचल दिये जाने के बाद भी किसी पे हमला नहीं करता । वह चुपचाप मौन खड़ा होकर सबकुछ सहता है । पर इसके बावजुद उसपे हिन्दू आतंकवादी होने के आरोप लगते हैं । पर पूरी दुनिया को बारूद की ढेर पर बिठाने वालों का आतंकवाद से नाता किसी को नहीं दिखता । और मेरी समझ में इसका बस एक ही कारण है और वो है हिन्दूओं की निष्क्रीयता व धर्म विशेष की आक्रमकता । तभी तो हिंदूहितों को लेकर सवाल उठाना इस देश में विवादित बन जाता है । पर हिन्दूओं पे हमले की खुली चुनौती, हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान अभिव्यक्ति की आजादी की श्रेणी में आता है ।
और ऐसे में बौद्ध धर्म को माननेवाले किसी मंत्री द्वारा हिंदूओं की घटती आबादी पे दिये गये बयान को भी विवादित कह दिया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है । आपको याद दिला दें कि अरूणाचल प्रदेश से सांसद व वर्तमान भारत सरकार में गृहराज्यमंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा था कि भारत में हिंदुओं की आबादी घट रही है क्योंकि हिंदू दूसरे लोगों का धर्मांतरण नहीं करते. जबकि दूसरे देशों की तुलना में भारत में अल्पसंख्यक तेजी से बढ़ रहे हैं । अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले इस नेता के बयान को भी विवादित बयानों की श्रेणी में रखा गया था और उन्हे याद दिलाने की कोशिश की गई थी कि वे हिन्दूओं के नहीं अपितु पूरे देश के गृहमंत्री हैं । अर्थात उनके लिए हिन्दूओं को लेकर चिंता जताना देश के राजनैतिक शिष्टाचार के खिलाफ है ।
मुकेश सिंह
सिलापथार,असम
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