“चुनावी दौर”
*चुनावी दौर*
चली जब भूख की आँधी चुनावी टोलियाँ देखो। बिकाऊ लोग चलते हैं निकलती गोलियाँ देखो।। पहन टोपी शराफ़त की उछालें नाम ये देखो। सड़क पर होड़ सत्ता की, लगाते बोलियाँ देखो।। चुनावी दौर में यारों ठनी है बाप बेटे में। कहें इक -दूसरे को चोर नेताजी लपेटे में।। चले राहुल लिए अखिलेश मोदी की ख़िलाफत में। मुसलमाँ साथ ले बसपा चली अपनी शराफ़त में।। पकड़ के हाथ से हैंडल चले सब साथ ठगने को। करैं बौछार प्रश्नों की कपट से ध्यान हरने को।। लगी है भीड़ प्रत्याशी खड़े हैं वोट देने को। रखा है धैर्य निज मन में सही मतदान करने को।। भरे न कान अब कोई हमें ये देखना होगा। चली जो चाल इक उलटी हमें ही भोगना होगा।। गलत हाथों न जाए देश इनको रोकना होगा। भुलाकर भेद जाती का सभी को सोचना होगा।। डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”