कविता

“प्रियतम मेरे”

प्रियतम मेरे
प्राची उदित भानु से प्रमुदित, जीवन में तुम आए थे। स्वर्ण कलश की आभा लेकर, प्रीत बसा मन भाए थे।।
माँग भरी अरुणाई मेरी, सपन सलौने लाई थी। अधर सजाए गीत प्यार के, मन ही मन मुस्काई थी।। कंचन काया रूप सजा कर , तेरे घर मैं आई थी। अपनों सा अपनापन पाकर, सरस भाव सरसाई थी।। मृदु भावों से इस वसुधा पर,नेह मेघ बरसाए थे। स्वर्ण कलश की आभा लेकर प्रीत बसा मन भाए थे।।
जब- जब चंद्र वदन नहिं निरखा, फूलों सी थी कुम्हलाई। तेरे आँगन की तुलसी बन , अभिसिंचित हो इठलाई।। अग्नि- राह पर तुमको पाकर, सदा भाग्य पर इतराई। मनमंदिर में मूरत तेरी, मेरे नयनों को भाई।। इस बाती का दीप बने जब, उर में भाव जगाए थे। स्वर्ण कलश की आभा लेकर प्रीत बसा मन भाए थे।।
वेद मंत्र अरु भोर नमन तुम,जीने का आधार तुम्हीं। चाँद, सितारे, अंबर मेरे, प्यारा सा संसार तुम्हीं।। तुम माली हो इस उपवन के, सुरभित पुष्प बहार तुम्हीं। तन-मन मेरा तुमको अर्पण, जीवन की पतवार तुम्हीं।। पाकर मधु आमंत्रण मेरा, नेह लुटाने आए थे। स्वर्ण कलश की आभा लेकर, प्रीत बसा मन भाए थे।।
देख भरे नयनों में आँसू, अधर लगा कर चूमे थे। भर-भर चूड़ी हाथ सजा कर, बाहों में तुम झूमे थे।। इस प्यासी “रजनी” पर तुमने, सोम-सुधा बरसाया था। आँगन में दो कुसुम खिला कर, आँचल को महकाया था।। सुख-दुख की क्या बात करूँ मैं, तरुवर बन कर छाए थे। स्वर्ण कलश की आभा लेकर, प्रीत बसा मन भाए थे।।
डाॅ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”

डॉ. रजनी अग्रवाल "वाग्देवी रत्ना"

जन्मतिथि-- 24.4.1956 पता-- डी 63/12 बी .क,पंचशील कॉलोनी ,महमूरगंज, वाराणसी। पिनकोड-- 221010 उ. प्र. वॉट्सएप्प नं.-- 9839664017 : व्हाटसाप + 918173945149 इमेल आईडी [email protected] व्यवसाय/पेशा--हौजरी व्यवसाय, अध्यापन कार्यरत, आकाशवाणी व दूरदर्शन की अप्रूव्ड स्क्रिप्ट राइटर , निर्देशिका, अभिनेत्री,कवयित्री, समाज -सेविका। उपलब्धियाँ- राज्य स्तर पर ओम शिव पुरी द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार, काव्य- मंच पर "ज्ञान भास्कार" सम्मान, "काव्य -रत्न" सम्मान", "काव्य मार्तंड" सम्मान, "पंच रत्न" सम्मान, "कोहिनूर "सम्मान, "मणि" सम्मान "काव्य- कमल" सम्मान, "रसिक"सम्मान, "ज्ञान- चंद्रिका" सम्मान ,"श्रेष्ठ छंदकारा" सम्मान, "श्रेष्ठ रचनाकारा" सम्मान,"श्रेष्ठ समीक्षिका"सम्मान ,"श्रेष्ठ शिक्षिका" सम्मान "आदर्श शिक्षिका" सम्मान आदि प्राप्त किए हैं। विशेष-"काव्य- रंगोली" ,"वैदिक राष्ट्र" "दैनिक जागरण" तथा कई पत्रिकाओं में काव्य-रचना व लेख छपे हैं, कई कवि-सम्मेलनों में काव्यपाठ किया