बदहाल साल :: व्यंग्य पड़ताल# (पोस्टमार्टम:2016) —–
#बदहाल साल :: व्यंग्य पड़ताल# (पोस्टमार्टम:2016)
विनोद कुमार विक्की
जो बीत गई सो बात गई लेकिन सच तो ये है जो याद रही वो बात नई।
आज इस प्रसंग मे बीते साल 2016 की कुछ महत्वपूर्ण व अविस्मरणीय घटनाओं पर चर्चा करेंगे दुसरे शब्दों मे कहे तो वर्ष 2016 का पोस्टमार्टम करेंगे। जो वर्ष 2017 मे भी ना चाहते हुए भी याद आएगी। वर्ष2016 का आगाज हुआ था बिहार टापर धमाका से।
29राज्यों के साक्षरता सूची मे सबसे निम्न स्तर अड्डा जमाए बिहार के शिक्षा क्षेत्र मे अभूतपूर्व व अप्रत्याशित विकास ने यूनिसेफ सहित पूरी दुनिया को हतप्रभ कर दिया।जाने बाबा रामदेव की किस बुटी का साइड इफेक्ट हो गया कि गोबर गणेश टाइप कथित छात्र बिहारइंटर एग्जाम के टापर बन गए।ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो शून्य पर बोल्ड होने वाला और एक भी विकेट ना ले सकने वाले खिलाड़ी को मैन आफ द मैच घोषित कर दिया गया हो।
बहरहाल सालभर “बिहार की डिग्री” अंतरराष्ट्रीय चर्चा व शोध का विषय बनी रही।वर्ष 2016 की एक धमाकेदार घटना थी बिहार मे शराबबंदी।
यधपि बगैर शराब सेवन के पियक्कड़ो की स्थिति प्यासे रेगिस्तान की तरह हो गई तथापि शराबबंदी से जितने बेचैन मदिरासेवी वर्ग नही हुए उससे कहीं ज्यादा बेचैनी सरकार मे देखी गई। गांव के चौपाल से दिल्ली यूपी भोपाल तक सुशासन बाबू शराबबंदी का चेक भूनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहे। नित नए नए नियम का प्रयोग यथा मदिरा सेवी को कठोर दंड व कारावास, पियक्कड के परिवार के सदस्यों को सजा, मकान मालिक को सजा, मुखिया को सजा आदि से लेकर थानेदारों का प्रमोशन भी शराब की बोतल के इर्द-गिर्द ही घूमती रही।
9000करोड़ का सरकारी चपत लगाने वाले सुरा और सुंदरी के किंग विजय माल्या का भारत से लुप्त हो जाना भी वर्ष 2016 की किसी चमत्कारी घटना से कम नही है।जिसप्रकार सुंदर-कांड प्रकरण मे हनुमानजी बिना वीजा वजीफा के लंका का डंका बजाकर भारत लौट आए थे कुछ इसीप्रकार “माल लिया”साब भारत का डीजे बजाकर ब्रिटेन पलायन कर गए।
विधान सभा चुनाव के पूर्व की सरगर्मी को लेकर यूपी का तापमान 2016 के उतरार्द्ध मे उच्च स्तर पर रहा।भक्त मंडली से लेकर कीर्तन मंडली तक की हर राजनीतिक पार्टी अपना प्रोमो-ट्रेलर दिखाने मे रिलायंस जियो की भांति काफी चर्चित रही।
जनता जनार्दन का मिजाज जानने कोई प्रजासेवक साइकिल की बजाय शाही रथ पर निकल पड़े तो कोई बिहार के शराबबंदी का लाइसेंस रिन्यूल कराने यूपी के चुनावी अखाड़े मे पहुंचने लगे।कोई विकास चीन पाक आदि मुद्दे का छूट्टा कराने मे लग गए।तो किसी पार्टी ने खटिया बंटवाकर अपना और अन्य पार्टी की खाट खड़ी कर दी।चुनावी सीजन ने सत्तारूढ राजनीतिक परिवार मे ब्रिटेनिया 50-50 बिस्कुट वाली स्थिति उत्पन्न कर दी। वर्ष के शुरुआती दौर मे दाल, मंहगाई व विकास के मुद्दों पर उलझने वाली मासूम जनता बाद के समय मे चीनी उत्पादो के बहिष्कार ,पाकिस्तान, सर्जिकल स्ट्राईक आदि मे मशगूल हो गई। उपरोक्त प्रकरण के अलावे सबसे शानदार व धमाकेदार रही वर्ष 2016 की विदाई जिसने हर भारतीय हमाम की आंखों को नम कर दिया वजह रही नोटबंदी।500 व 1000 के पुराने नोटों का भारतीय जेबों से बाहर निकल जाने के कारण तथाकथित कालाधन के स्वामी को गहरा सदमा लगा।जहां एक ओर बड़े नोटों के बंद होने से चिल्लरों की निकल पड़ी वहीं दूसरी ओर नोटबंदी के कारण कई चमत्कारिक घटनाएँ प्रकाश मे आई। उदाहरण स्वरूप जिस डस्टबीन मे लोग कुरकुरे का खाली रैपर नही डालते थे वहां से नोटों का बंडल मिलने लगा।जो महिलाएँ शाॅपिंग हेतु महज सौ-पचास रूपयों के लिए पति परमेश्वर से हील- हूज्जत करती थी वे अचानक ही धन लक्ष्मी के रूप मे प्रकट होने लगी।भगवान छप्पर फाड़ कर देने की बजाय गुप्त रूप से बैंक एकाउंट मे डालने लग गए।कहीं कहीं नोटों की होलिकादहन भी मनाई गई।तिजोरी मे कैद रहने वाले नोटों के बंडल बाथरूम, नदी नालों मे स्वतंत्र रूप से प्रवाहमान होने लगे।नोटबंदी ने पुरे देश को एक कतार मे खड़ा कर दिया।बैंक एटीएम के लाइन मे घंटों खड़ी खड़ी फटेहाल जनता बैंक व एटीएम से मुद्रा निकासी के इंतजार मे बदहाल नजर आए।तो बैंक कर्मी भीड़ देख देख कर बेहाल नजर आए।वर्ष के अंततक नोटबंदी के कारण विरोधी राजनीतिक पार्टियों सहित पुरे देश मे भूचाल आ गया।इस उधेड़बुन मे देखते ही देखते नया साल आ गया।
विनोद कुमार विक्की