काँटे
फूल हो जब राह में काँटे भी जरूरी होते हैं ।
फूल फुला देते मन, काँटे लगें तो हम रोते हैं ।।
काँटे हमें शायद अहंकार से बचाते हैं ।
काँटों के कारण ही हम राह का असली मजा पाते हैं ।।
गर फूल , फूल ही हों राह में तो हम फूल की कीमत भूल जाते हैं ।
फूल फूल ही हों राह में तो अच्छे अच्छे अहं से फूल जाते हैं ।।
काँटे हमारा सत्य से परिचय कराते हैं ।
सत्य कड़वा होता है; काँटे समझाते हैं ।।
राह फूल संग काँटे मिलें तो समझो राह पे चलने का मजा आएगा ।
काँटों की वेदना से ही फूल तुम्हें भाएगा ।।
– नवीन कुमार जैन