पद्य साहित्य

“त्रिपुरारी दूल्हा बने” (कुंडलिया छंद)

“त्रिपुरारी दूल्हा बने” (कुंडलिया छंद)
त्रिपुरारी दूल्हा बने,स्वागत नगरी आज।
आए हैं बारात ले, भस्मी तन पर साज।।
भस्मी तन पर साज, चले भोले मस्ताने।
नंदी देख सवार,भक्त लागे अकुलाने।।
कह “रजनी”ये बात,आज काशी भइ न्यारी।
खूब बढ़ायो मान, बसे नगरी त्रिपुरारी।।
डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”

डॉ. रजनी अग्रवाल "वाग्देवी रत्ना"

जन्मतिथि-- 24.4.1956 पता-- डी 63/12 बी .क,पंचशील कॉलोनी ,महमूरगंज, वाराणसी। पिनकोड-- 221010 उ. प्र. वॉट्सएप्प नं.-- 9839664017 : व्हाटसाप + 918173945149 इमेल आईडी [email protected] व्यवसाय/पेशा--हौजरी व्यवसाय, अध्यापन कार्यरत, आकाशवाणी व दूरदर्शन की अप्रूव्ड स्क्रिप्ट राइटर , निर्देशिका, अभिनेत्री,कवयित्री, समाज -सेविका। उपलब्धियाँ- राज्य स्तर पर ओम शिव पुरी द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार, काव्य- मंच पर "ज्ञान भास्कार" सम्मान, "काव्य -रत्न" सम्मान", "काव्य मार्तंड" सम्मान, "पंच रत्न" सम्मान, "कोहिनूर "सम्मान, "मणि" सम्मान "काव्य- कमल" सम्मान, "रसिक"सम्मान, "ज्ञान- चंद्रिका" सम्मान ,"श्रेष्ठ छंदकारा" सम्मान, "श्रेष्ठ रचनाकारा" सम्मान,"श्रेष्ठ समीक्षिका"सम्मान ,"श्रेष्ठ शिक्षिका" सम्मान "आदर्श शिक्षिका" सम्मान आदि प्राप्त किए हैं। विशेष-"काव्य- रंगोली" ,"वैदिक राष्ट्र" "दैनिक जागरण" तथा कई पत्रिकाओं में काव्य-रचना व लेख छपे हैं, कई कवि-सम्मेलनों में काव्यपाठ किया