संकटमोचन
कार्तिक नवमी कृष्णपक्ष सोम से प्रारम्भ मान।
चतुर्दिनोट्सव शहस्र द्वै पंचाशत सम्बत जान।।
सम्बत अहै प्रमाण थापना महाबली की।
जात्बरात सेमरहस उत्तर दिसि कल्याणी।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूँजत जय जयकार चली
जलमे तुमको धूढ़न कारन,भक्त तुम्हारो कियो न पारन।
सजे भक्त सब बजे हैं बाजे,जैसे देवों की फौज भली।।जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूँजत जय जयकार चली
तुम वीरों मे बलवीर बड़े,हो युद्धभूमि रिपुदमन बड़े।
भक्तों के तुम भक्त बड़े,तेरी गांये महिमा गली गली।।
जय जय जय बजरंगवीर.तेरी गूँजत जय जयकार चली
मातु अंजनी के सुत न्यारे,जनकसुता सुत प्राण पियारे।
मातृ भक्त बन बचन निभाया,ठीक समय पर लंकजली।।
जय जय जय बजरंगवीर तेरी,गूँजत जय जयकार चली
समयके पक्के हनुमत जिहो,ठीक समयपर आते तुमहो।
भक्त पुकारे जब भी तुमको,नही किसी की बात टली।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूँजत जय जयकार चली
श्रीराम के सेवक पक्के,जिमि गुलाब को रंग न छुट्टे।
तुमबसत रामके रोम रोम,योंराम तुम्हीं अलि कलीकली।
जय जय जय बजरँगवीर,तेरी गूंजत जय जयकार चली
सेवा मे सबसे हो निराले,हो हनुमत तुम भोले भाले।
पड़ा कार्य जब लंकपुरी मा,नही कालकी दाल गली।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूँजत जय जयकार चली
शंकर सुवन कहाते तुम हो,शम्भुग्यारहवाँ रुद्र तुम्ही हो।
पवन वेग से चलो पवनसुत,हैं भक्त पुकारत महाबली।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूँजत जय जयकार चली
तुम सम आनि नकोई योद्धा,काटो फंद कालकर क्रोधा।
फंसा तुम्हारा भक्त अबोधा,कहता अरे रेरे बजरंगबली।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूँजत जय जयकार चली
आनि बचाओ मुझको हनुमत,काम करे नकुछ मोरीमति।
मैं अज्ञान पुकारूँ कबसे,दया करो हे!महाबलीमहाबली।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूंजत जय जयकार चली
नाम तुम्हारा हनूमान है,बड़ी गुमानी दुनिया सब है।
गु मेरा हन मान बढ़ाओ,पीछे पीछे तेरे चली।।
जय जय जय बजरंगवीर,तेरी गूंजत जय जयकार चली
आज इस गीत कि जरूरत है करोना के संकट को संकटमोचन ही दूर करेंगे बाकि आपकी मर्जी जो चाहें वो छापे