कविता- पहली बूँद
तुम पहली बूँद हो ‘,बारिश की
क्या जानो क्या, चीज हो तुम
मै प्यासा, जलता जून रहा
निकली पहली, बीज हो तुम
मन नाच रहा, मयूर सा बन
मेरी मोरनी सी, संगीत हो तुम
मै दिन-दिन, भूखा रहा करा
मेरी भूखी-प्यासी तीज हो तुम
मै प्रेम पुजारी, हारा सा
अब हर पल मेरी जीत हो तुम।
— हृदय जौनपुरी