गीत/नवगीत

कविता – होली का रंग

होली का रंग बदरंग हो गया है
जमाने में सब कुछ तंग हो गया है

मलता है रंग कोई डालता गुलाल है
चारों ओर देखों हो रहा अब धमाल है
पहले का मौसम अब भंग हो गया है
होली का रंग………

कहीं दौड़ विस्की का कहीं पर रम है
वर्षों का बैर याद आता हर दम है
मिलते हैं हाथ दिल तंग हो गया है
होली का रंग………

नहीं भाईचारा रहा बचा नहीं प्यार है
चारों ओर देखो हो रहा तकरार है
जीवन का रंग बे-ढंग हो गया है
होली का रंग………

होली को जानो मानो रहने दो होली
नफरत को छोड़ बोलो प्यार की बोली
लाल बिहारी का लाल अब रंग हो गया है
होली का रंग………

लाल बिहारी लाल

लाल बिहारी गुप्ता लाल

जन्म : 10 अक्टूबर 1974 जन्म स्थान : ग्राम+पो. श्रीरामपुर, भाया - भाथा सोनहो, जिला-सारण (छपरा), बिहार-841460 माता : (स्व.) मंगला देवी पिता : (स्व.) सत्य नरायण साह पत्नी : श्रीमती सोनू गुप्ता संतान : पुत्र ज्येष्ठ—रवि शंकर (11वीं अध्ययनरत); कनिष्ठ—कृपा शंकर (11वीं अध्ययनरत) शिक्षा : स्नातकोत्तर (एम.ए.)-हिन्दी सम्प्रति : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग भवन, नई दिल्ली में कार्यरत संपादित कृतियाँ : 1. समय के हस्ताक्षर (2006) 2 लेखनी के लाल (2007) 3 माटी के रंग (2008) 4 धरती कहे पुकार के (2009) तथा कोलकाता से प्रकाशित हिन्दी साहित्यिक पत्रिका “साहित्य त्रिवेणी” के पर्यावरण विशेषांक का संपादन (2011) भाषा ज्ञान : हिन्दी, भोजपुरी एवं अंग्रेजी विशेष : हिन्दी एवं भोजपुरी की कविताएँ एवं गीत देश के विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। लाल कला साहित्य एवं सामाजिक चेतना मंच (रजि.) बदरपुर, नई दिल्ली-110044 के संस्थापक सचिव। भोजपुरी गीतों का आडियो एवं वी.सी.डी. टी. सीरीज, एच. एम. वी., वीनस सहित देश की कई नामी-गिरामी कंपनियों से बाजार में हैं। संपर्क : 265 ए / 7, शक्ति विहार, बदरपुर, नई दिल्ली - 110044 फोन : 098968163073 // 07042663073 ई-मेल : [email protected], [email protected]